क्या फहरा के झंडा लाल किले पे किसानों ने थी भारत सरकार को उसकी औकात याद दिलाई? (समसामयिक कविता)

सभी भारतीयों को 
आपस में मिलाकर कर 
ही भारत बनता है!

सभी भारतीयों की विचार-पंखुडियां  

आपस में मिला कर 

ही भारत का पुष्प खिलता है!

सभी भारतीयों के झंडों को 

मिला कर ही 

एक बड़ा तिरंगा 

भारतीय झंडा बनता है!

विविधता में एकता देख

सीना हर भारतीय का

गर्व से तनता है! 

मगर

जब हुकूमत-ए-वक्त खुद को 

अवाम से ऊपर खुदा समझती है,

८० से भी ज्यादा निरीह 

किसानों की लाशों को रौंदती चलती है, 

और शर्मसार शैतान खुद से ज्यादा 

हैवान को देख फिरता-लुकता है,

तो मुझ जैसे सरमायादारों 

समझदारों का सर भी शर्म से झुकता है!

जब खुदगर्ज सरकार समझती है 

कि तिरंगा केवल उसी की 

सरकारी सोच पर ही चलता है,

इशारे पे उसी के ही

मुल्क के हर बाशिंदे का

सूरज उगता और ढलता है,

तब परेशान लोग अपने झंडे को 

तिरंगे के डंडे पर चढ़ा कर 

सरकार को याद दिलाते है 

कि उस तिरंगे के अंदर 

उनका भी झंडा छिपा है,

कसरिये-सफेद-हरे 


रंगों में उस के 

सुनहरा सपना 

उनका भी लिखा है!

दुखद बात यह है कि 

जिस आर एस एस ने 

कभी भी नागपुर में 

अपने मुख्यालय में 

तिरंगा नहीं फहराया,

जिनके दिग्गज 

नाना देशमुख ने 

था कभी राष्ट्र की

शान तिरंगा जलाया!

२००१ में  नागपुर में 

देशप्रेमी नवयुवकों ने

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ 

के मुख्यालय पर

जबरन तिरंगा शान से चढाया,

तो भारतीय जनता पार्टी 

की माँ आर एस एस ने

२०१४ तक कोर्ट-केसों में 

उन देशप्रेमियों को फंसाया!

और इस तरह से 

जान से भी प्यारे 

तिरंगे का अपमान 

था किया और कराया,

जिनके लोगों ने 

गुलाम भारत में जासूसी कर

स्वतंत्रता सेनानियों को 

अंग्रेजों से पकडवाया!

जिनके भाजपाई भारतीय 

सरकार में बैठे मंत्रियों ने 

८० से ज्यादा किसानों को 

जबरन ठंड में शहीद कराया!

वही भाजपाई आतताई अब 

तिरंगे के अपमान की दुहाई दे 

कर भारत को किसानों 

पंजाबियों के खिलाफ भड़का रहे हैं,

तिरंगे के डंडे पे अपना झंडा चढ़ा 

सरकार को अपने दर्द की याद दिलाने

वाले किसानों पंजाबियों को ये अब 

खालिस्तानी-देशद्रोही के लेबल चिपका रहे हैं!

बड़ा अजीब मंजर है-

ये सरकार आपको रूलाएगी,

खून के आंसू पिलाएगी,

आप अगर इसे दिलाएंगे याद 

औकात इसकी लगा अपना भी 

झंडा तिरंगे के डंडे पे 

तो

यह खिसीयानी बिल्ली और

इसके शागिर्द उद बिलाउ मीडिया 

सभी आपको देशद्रही बता कर 

आंदोलन आपका तुड़वाने की कुचेष्टा करेंगे,

बदनाम करने को

आंदोलन आपका

ये वास्तविक गद्दार 

नाना प्रकार के षड्यंत्र रचेंगे!

जो आंदोलनकारी "राम"(देव) 

कभी "रामलीला" मैदान से 

"सीता" की पहन सलवार 

जान अपनी बचा कर भागा था,

और इस तरह 

हुकुमत के जुल्मों 

की देख हकीकत डरावनी 

नींद से जागा था! 

"बाबा" "स्वामी" का ओढे चोला

वही "राम" आज रावण-भाजपाई सरकार के  

जुल्मों  को सही बता रहा है,

काले तीन कानूनों की

वापिस लेने की जायज मांग 

को भी यह खुदगर्जी सही ठहरा रहा है!

यह भूल गया कि इसने 

लोकतंत्र का मजा पूरा लिया था,

तभी तो घुस कर दिल्ली में इसने 

लोकपाल-आंदोलन में हिस्सा लिया था!

आज तो इन मुगलों ने

गंगा ही उल्टी बहा दी है,

चीन की सरहद छोड़ कर 

दिल्ली की ही किलेबंदी करा ली है!

कसाई मुगलों ने कभी

गुरू अर्जुन देव का सिर काट लिया था,

सनातनीयता की हिफाजत में 

गुरु तेगबहादुर ने कटा अपना सिर

दुनिया में पहला "सत्याग्रह" किया था!

भुला कर सिख गुरुओं के बलिदान को 

लोकतंत्र को पैरों तले 

आज के हिंदू-मुगल 

अपनी तानाशाही से रौंद रहें हैं-

सिख-किसानों को आतंकवादी,

नक्सलवादी, खालिस्तानी, गुंडे, माओवादी, 

टुकड़ा टुकड़ा गैंग, राजद्रही बता कर

लोकतंत्र की जड़ें सोख रहे हैं!


आंदोलन को समर्थन 

देख जारी इन्होंने आंदोलनकारियों को

पुलिस से भिडवाया,

इससे भी जब बात न बनी तो 

लोकल लोगों को 

किसानों के खिलाफ भड़काया!

इसे ही तो कहते हैं - 

"एक तो सरकार कर रही अपने कुछ 

खास रईस दोस्तों के खजाने भरने के लिए

कर पास तीन कानून काले - 

किसानों की उपज की चोरी,


और ऊपर से कर रही

कर दिल्ली की किलाबंदी, 

बता उन्हें देशद्रोही, 

किसानों पे सीनाजोरी!

ग्रेटा रिहाना और दूसरे 

विदेशियों के मानवीयता के नाते 

किसानों के प्रति 

संवेदना प्रकट करते बयानों को

भाजपा सरकार आंतरिक मामलों 

में हस्तक्षेप बता 

विदेशियों को धमका रही है, 


"वसुधैव कुटुंबकम"

की भारतीय साख

पर दिन दहाड़े 

विश्व में पूरे 

बेहिचक बेशर्मी से

बट्टा लगा रही है, 

जायज हक अपने के लिए 

लड रहे अन्नदाताओं को

बेदर्दी नरेंद्र दामोदर दास मोदी 

सरकार और इसके 

चापलूस "चमचामोदर मीडिया"

की फौज अब

आतंकवादी बता रही है, 

और कर लागू इंटरनेट-बंदी

हरियाणा दिल्ली में 

किसानों के लोकतांत्रिक 

आंदोलन को कुचलने के लिए 

अब जानबूझकर 

देश-विदेश में नया यह


आतंकवाद वैचारिक फैला रही है!

सन १९०७ में हुए

शहीद भगत सिंह के 

पिता के नेतृत्व वाले 

किसान-आंदोलन को

अंग्रेजी हुकूमत भी 

नहीं उखाड पाई,

उसने भी 

घबरा कर 

टेक घुटने 

कर रद्द काले

कृषि कानून

हुकुमत अपनी थी बचाई,

फिर हमारे 

ये भूरे-काले अंग्रेज

नरेन्द्र शाह संघ

हमारे किसानों के आगे

किस जंगल के

झाड हैं अरी बहिना-भाई😀😃😃!

१९७५ में शुरू हुई जय

प्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति 

जो रह गई थी अधूरी,

नरेन्द्र दामोदरदास मोदी के

किसानों पर हो रहे जुल्मों से

शायद हो जाए वह अब पूरी...

🦋🎁🧘‍♂️💇‍♀️👩‍💻!


- स्वामी मूर्खानंद जी "चाणक्य"


चमचामोदर मीडिया: भारतीय  संचार माध्यम की मुख्यधारा के वे संचार-समूह, समाचार पत्र,  टेलीविजन चैनल और पत्रकार जो  भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और उसके दल के सबसे बड़े चाटुकार हैं।

(संपादकीय टिप्पणी: यदि आप उपरोक्त कविता में व्यक्त विचारों  से असहमत हैं तो आप अपनी लिखित असहमति नीचे दिए गए कमेंट बाॅकस में वयक्त कर सकते हैं। ध्यान रहे कि भारतीय संविधान हम सभी को विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है। हमारा मानना है कि किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में विचारों के प्राकटय की स्वतंत्रता उस लोकतंत्र को ओर अधिक दृढ़ता देती है। )

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