वर्तमान का सच - शरद् की शरद-वाणियां (कविता) Posted by शरदेंदु शुक्ला 'शरद' (Shardendu Shukla 'Sharad') on September 29, 2020 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps सच को न्याय यदि मिले ना,तो पीड़ा दूनी हो जाती है!शंका भ्रमित हो जाए यदि,तो अनहोनी हो जाती है!धुले दूध के रहे जब नाआंचल रंगीले किसी के भी - तो जांच एजेंसियां आगे सत्ता के बौनी हो जाती हैं...!- शरदेन्दु शुक्ला 'शरद' पुणेकर Comments
Comments