अरविंद केजरीवाल के ट्वीटर खाते पर दिए गए “भाईचारे मोहब्बत” की बातों और डॉक्टर स्वामी अप्रतिमनंदा जी की साल 2003-2004 में, पुणे से प्रकाशित “सीधी पत्रिका” में छ्पी कविता के “भाईचारे मोहब्बत इंसानियत” की बातों में समानता आश्चर्यजनक
अरविंद केजरीवाल के ट्वीटर खाते पर दिए गए “भाईचारे मोहब्बत” की बातों और डॉक्टर स्वामी
अप्रतिमनंदा जी की साल 2003-2004 में, पुणे से प्रकाशित “सीधी पत्रिका” में छ्पी कविता के “भाईचारे मोहब्बत इंसानियत” की बातों में समानता आश्चर्यजनक है!
अर्थात, अरविंद केजरीवाल की टीम ने इंटरनेट पर उपलब्ध डॉ स्वामी अप्रतिमनंदा जी की उपरोक्त कविता से प्रेरित हो कर ही अरविंद केजरीवाल के ट्वीटर खाते पर “भाईचारे मोहब्बत” की बातें लिखीं हैं...! अब यह अलग बात है कि अरविंद केजरीवाल क
पूरी ईमानदारी दिखाते हुए इस तथ्य को स्वीकार करेगा या नहीं। इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए पूरी ईमानदारी और बहुत बड़ा दिल चाहिए...! मुख्यमंत्री बनना तो बहुत ही सरल काम है, परंतु निस्वार्थ भाव से किसी अन्य को सम्मान और श्रेय देना दुनिया में सबसे कठिन कार्य है.....!
अप्रतिमनंदा जी की साल 2003-2004 में, पुणे से प्रकाशित “सीधी पत्रिका” में छ्पी कविता के “भाईचारे मोहब्बत इंसानियत” की बातों में समानता आश्चर्यजनक है!
अर्थात, अरविंद केजरीवाल की टीम ने इंटरनेट पर उपलब्ध डॉ स्वामी अप्रतिमनंदा जी की उपरोक्त कविता से प्रेरित हो कर ही अरविंद केजरीवाल के ट्वीटर खाते पर “भाईचारे मोहब्बत” की बातें लिखीं हैं...! अब यह अलग बात है कि अरविंद केजरीवाल क
पूरी ईमानदारी दिखाते हुए इस तथ्य को स्वीकार करेगा या नहीं। इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए पूरी ईमानदारी और बहुत बड़ा दिल चाहिए...! मुख्यमंत्री बनना तो बहुत ही सरल काम है, परंतु निस्वार्थ भाव से किसी अन्य को सम्मान और श्रेय देना दुनिया में सबसे कठिन कार्य है.....!
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