हे विश्व पुरुष युग हे विभूति शत-शत है तेरा अभिनंदन , तेरे छू लेने से भारत की वसुंधरा हुई चंदन । तेरे ही प्रयास से आया आजादी में एक नया मोड़, श्रद्धा में तेरे नतमस्तक हैं हम भारतीय ढेरों करोड । शत् शत् नमन, भारत माता की जय वंदे मातरम्। शरदेन्दु शुक्ला 'शरद' पुणे
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