नित भजन सिमरन करो जी - अध्यात्म

सुबह सवेरे 
जाग के बन्दे ,
ध्यान प्रभु का लगाया कर।
किया जो 
गुरु से वादा ,
उसको रोज़ 
निभाया कर ।
जग के कारज तेरे 
कभी खत्म न होंगे ।
सब कुछ होगा तब भी 
जब हम न होंगे ।
श्वासो की कीमत को 
पहचान ले बन्दे ,
वक्त बीत रहा है 
मगर खाली हाथ है हम ।
जोड़ " सिमरन "के मोती 
काम वही तेरे आयेंगे ,
धन दौलत, मान बड़ाई 
सब यहीं धरे रह जायेंगे ।
सब यही धरे रह जायेंगे...!
(स्रोत: अज्ञात श्रद्धालु)

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