पहले से भी ज्यादा बढ़ेगा प्रेम नये साल में - (कविता)


कल का सच

अब तक जिसने ओढी 
चादर भ्रम की 
पुराने साल में, 
तुम फेंक देना...
पहले से भी ज्यादा 
बढ़ेगा प्रेम 
नये साल में 
तुम देख लेना...

यह नया  दशक  
यकीनन 
भारत का ही होगा 
ये निश्चित है,
होंगे खड़े मुल्क 
भारत की 
ताकत के 
सम्मान में, 
तुम देख लेना...
शुभकामनाएं हैं 
नये 
साल की,
टटोल के 
दिल में,
तुम देख लेना...

- शरदेन्दु शुक्ल 'शरद', पुणे

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