सिख गुरु तेग बहादुर जी ने गैर-हिंदू (Non-Hindu) होते हुए भी कशमीर के हिंदू ब्राह्मणों के समान नागरिकता अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी थी क्योंकि तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब ने हिंदुओं के कई समान नागरिकता अधिकारों को जबरन छीन लिया था। सिख गुरु साहेबानों ने कभी भी मुस्लिम समाज से भेदभाव नहीं किया। मुस्लिम भाई मरदाना जी तो नानक देव जी के खासमखास थे। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव एक मुस्लिम भाई के हाथ से ही रखवाई गई थी। हकीकत तो यह है कि सिख जमात की पैदाइश तत्कालीन ब्राह्मणवाद की कुरीतियों के खिलाफ़ हुई थी। तत्कालीन ब्राह्मण वाद ने हिंदू समाज की कई जातियों को समान नागरिकता अधिकारों से वंचित किया हुआ था। आज सरकार जाने अनजाने में मुगल बादशाहों की तर्ज पर कुछ धर्म विशेष वालों को नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता से वंचित करने जा रही है। सरकार का यह कदम सरासर गलत और गैर लोकतांत्रिक है। हम वर्तमान भारतीय सरकार को अति विनम्र सुझाव देना चाहते हैं कि आजाद भारत में सभी धर्म संप्रदायों के अनुयायी इस महान देश भारत के समान नागरिक हैं। किसी भी भारतीय को धर्म के आधार पर नागरिकता से वंचित न किया जाए। सरकार को चाहिए कि वह नागरिकता संशोधन कानून में बदलाव करे ताकि भारतीय मुस्लिम भारतीय नागरिकता से वंचित न हों। ऐसा करने से भारतीय मुस्लिम समाज में वर्तमान नागरिकता संशोधन कानून के कारण फैला डर खत्म हो जाएगा। इस से देश भर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ चल रहे जन-आंदोलन भी शांत हो जाएंगें।
NRC (National Register Of Citizens) राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के बारे में भारत सरकार ने अभी तक पूरी जानकारी नहीं दी है, इसलिए हम इस बारे में कोई टीका टिप्पणी करने की हालत में नहीं हैं।
हम तो केवल सलाह ही दे सकते हैं। अब शांति बहाली के लिए जो कुछ भी करना है वो नरेंद्र मोदी की भारतीय सरकार ने करना है ।
संपादकीय मंडली,
आत्मीयता पत्रिका
NRC (National Register Of Citizens) राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के बारे में भारत सरकार ने अभी तक पूरी जानकारी नहीं दी है, इसलिए हम इस बारे में कोई टीका टिप्पणी करने की हालत में नहीं हैं।
हम तो केवल सलाह ही दे सकते हैं। अब शांति बहाली के लिए जो कुछ भी करना है वो नरेंद्र मोदी की भारतीय सरकार ने करना है ।
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