-रावण सबका बाप है...! ( व्यंग कविता )

-------रावण👻 सबका 🤷बाप है-------


दशहरे के दिन 
राम भक्तों का 
बीपी बढ़ा हुआ था,
... अट्टाहस करते हुए
 रावण तन के 
खड़ा हुआ था ।
बोला," तुमने 
त्रेता मारा है,
पर कल 
युग हमारा है....!
तुम तुम्हारे 
संप्रदाय के नेता से 
प्रतिवर्ष हमें मरवाते हो, 
मारे 
जाने का 
भ्रम पाले जाते हो....!
साम्राज्य तो 
हुआ विकसित मेरा,
 राम का नहीं.... ! 
हुआ हो गर 
तो 
दिखाओ कहीं....! 
हम 20 फुट से 
सौ 100 फुट 
कद में बढ़ गए हैं,
वे और उनके भक्त 
वहीं के वहीं 
धरे रह गए हैं....! 
फिर शाम 
रामलीला कमेटी ने 
कवि सम्मेलन कराया,  
उसमें 
थर्ड क्लास 
कवियों को  बुलाया!
कौड़ी दो की सुन 
कविता मच गई
आपस में कलह....,
एक दूजे पे लगाते हुए दोष  
कवि ने एक दी 
सम्मेलन बंद करने की सलह.... !
वे एक भी कवि को
नहीं पाए थे 
कर सहन 😯वहन.... ,
ख़त्म होने से पहले सम्मेलन 
दुखी 😪रावण ने खुद को ही
कर लिया 😍दहन....!

------शरदेन्दु शुक्ल 'शरद', पुणे-----

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