पूर्व-राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी जैसे अयोग्य लोगों को भारत-रत्न देने से करे परहेज भारत सरकार!

भारत-रत्न का हकदार वह शख्स कभी भी नहीं हो सकता जो चुपचाप अपने राष्ट्रपति-कार्यालय में बैठा रहा था और उसके कार्यालय के बाहर, ज्योतिपांडे (निर्भया) से हुए बलात्कार के खिलाफ, आंदोलन कर रही लड़कियों को पुलिस की लाठियों से पिटते हुए खामोशी से देखता रहा था!
अब तक तो आप इस शख्स को पहचान ही गए होंगे। यदि नहीं पहचाने हैं तो हम इसमें आपकी सहायता कर देते हैं। यह शख्स कोई ओर नहीं, अपितु भारत के पूर्व-राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी हैं।इन्हें भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय सरकार ने केवल इसलिए भारत-रत्न दे दिया कि पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में आम बंगाली वोटर के दिल में घुसपैठ करके बंगाली वोट हासिल किए जा सकें क्योंकि ये महामहिम बंगाली हैं, बंगाल से आते हैं और मां दुर्गा के भक्त हैं।
इसमें भाजपा बहुत हद तक सफल भी रही क्योंकि बंगाली मतदाताओं ने 10 से अधिक लोकसभा सीटों पर भाजपा को भारी बहुमत से जिताया!
सच तो यह है कि कल को यदि भाजपा की मां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को लगा कि हरियाणा राज्य के चुनावों में आम वोटरों के वोट भाजपा को मिल जाएँगे तो यह भाजपा सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के  सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी समझे जाने वाले और भगवान शिव के परम भक्त तथा शिव-अंशावतार डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी को भी भारत-रत्न से सम्मानित कर देगी! वैसे बता दें कि स्वामी अप्रतिमानंदा जी किसी के भी प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं!
भारत-रत्न का दुरूपयोग करने में कांग्रेस पार्टी भी पीछे नहीं रही है! इसने तथाकथित युवाओं के वोट 2014 के लोकसभा चुनाव में पाने के चक्कर में सर्वथा अयोग्य खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर को भारत-रत्न दे भारत-रत्न की गरिमा ही गिरा दी! यह बात ओर है कि कांग्रेस को युवाओं के अपेक्षित संख्या में वोट नहीं मिले!
बेहतर होगा कि सरकारें भारत-रत्न का दुरूपयोग न करें, वरन् इसे मात्र सुपात्री/सुपात्र को ही प्रदान करें।
- स्वामी मूर्खानंद

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