जानिए कि क्यों अमित शाह और नरेंद्र मोदी को अचानक रातों-रात धारा 35A और 370 की छींकें आईं
1. धारा 35A और 370 हटाने के पीछे भाजपा सरकार का राष्ट्रवाद कम और आगामी हरियाणा आदि राज्यों में होने वाले आगामी विधान सभा चुनावों में अपने कट्टर तथाकथित 'हिंदू' वोट बैंक को लुभाने की कवायद जयादा है, भले ही सरकारी फैसला बाद में सुप्रीम कोर्ट में निरस्त ही क्यों न हो जाए जैसै कि कर्नाटक की सरकार की बाबत हुआ था!
यदि इतना ही अधिक राष्ट्रप्रेम भाजपा को था और वाकई नरेंद्र मोदी का कलेजा वाकई बहुत बड़ा था तो 2014-2018 के बीच यह काम भाजपा सरकार ने क्यों नहीं किया?
गौरतलब है कि भाजपा सरकार कोई भी फैसला वोट बैंक को जहन में रख कर करती है। इस बाबत एक चुटकुला है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी को अगर जुकाम हो जाए तो वे तभी छीकेंगे जब उन्हें लगेगा कि अब छींकने से वोट हासिल हो सकते हैं!
2. यह फैसला कानूनी तौर पर सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिकेगा अगर जजों ने केवल कानून की किताब को मद्देनजर रखा तो क्योंकि इन धाराओं को तभी हटाया जा सकता है जब जम्मू कशमीर में राज्य-सरकार हो । मगर फिलहाल वहाँ केंद्रीय शासन लागू है और राज्य-सरकार नहीं है।
3. क्षेत्रीय सियासी पार्टियों ने भाजपा सरकार के फैसले का समर्थन इस डर से किया कि कहीं जजबाती वोटर आने वाले राज्य और राष्ट्रीय चुनावों में उन्हें राष्ट्रविरोधी समझ कर वोट न दे। साथ ही राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी को कमजोर करना भी इन पार्टियों का एक मकसद था।
4. नेहरू जी और डाॅ राजेंद्र प्रसाद के धारा 370 और 35A के फैसलों को *हिसटोरीक बलंडर* बता कर भाजपा सरकार मौजूदा पीढ़ी को गुमराह करने की कोशिश कर रही है!
बदकिस्मती से आजकल के ज्यादातर मीडिया और समझदारों के पास हिसटरी खंगालने के लिए वक्त ही नहीं है।
यह सभी को मालूम है कि नेहरू जी और डाॅ राजेंद्र प्रसाद ने उस दौर के सियासी हालात के हिसाब से धारा 370 और 35A का सही फैसला लिया था! हां, आज हालात काफी बदल चुके हैं ।
यह सच भी भारत मुल्क की तारीख में दर्ज है कि उस वक्त के हुक्मरान नेहरू जी ने भारतीय फौज के आलाकमान और शेख अब्दुल्ला - इन दोनों की सलाह पर ही भारतीय फौज को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर हमला करने से रोक लिया था।
फौजी अफसरों ने नेहरू जी को बताया था कि भारतीय फौज संख्याबल में कम होने की वजह से अगर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर हमला करेगी तो भारतीय कश्मीर भी हाथ से निकल जाएगा क्योंकि नफरी में कम होने की वजह से भारतीय फौज दोनों ओर के कशमीरों को एक साथ कबायलियों और पाकिस्तानी फौज के हमलों से नहीं बचा पाएगी।
और सलाह दी थी कि ऐसे में बेहतर होगा कि भारतीय फौज उन उन इलाकों पर ही सारी ताकत लगा दे जिन जिन इलाकों में भारतीय फौज मजबूत थी यानी भारतीय कशमीर।
शेख अब्दुल्ला ने भी यह कह कर अपने हाथ खड़े कर दिए कि उनकी बात केवल भारतीय कशमीर की मुस्लिम आवाम ही मानती है, पाकिस्तानी कशमीर की मुस्लिम आवाम नहीं।
सोचिए कि क्या होता अगर नेहरू जी ने शेख अब्दुल्ला और भारतीय फौज के आलाकमान - इन दोनों की सलाह न मानी होती? होता यह कि भारतीय फौज को बहुत ज्यादा जान-माल का नुकसान तो झेलना पड़ता ही, भारतीय कशमीर भी पाकिस्तानी कबायलियों के हाथों में चला जाता!
हर बात के लिए नेहरू जी को जिम्मेदार ठहराना भाजपा की एक बहुत बड़ी गैर-जिम्मेदाराना सियासी हरकत है।
चलिए, मेरे जैसे कलमखोर कुछ भी लिखते रहें, मगर भाजपा को जरूर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की छींकों से थोड़ा-बहुत सियासी फायदा हरियाणा के आगामी विधानसभा चुनाव में मिलेगा ही जाएगा!
- स्वामी मूर्खानंद
1. धारा 35A और 370 हटाने के पीछे भाजपा सरकार का राष्ट्रवाद कम और आगामी हरियाणा आदि राज्यों में होने वाले आगामी विधान सभा चुनावों में अपने कट्टर तथाकथित 'हिंदू' वोट बैंक को लुभाने की कवायद जयादा है, भले ही सरकारी फैसला बाद में सुप्रीम कोर्ट में निरस्त ही क्यों न हो जाए जैसै कि कर्नाटक की सरकार की बाबत हुआ था!
यदि इतना ही अधिक राष्ट्रप्रेम भाजपा को था और वाकई नरेंद्र मोदी का कलेजा वाकई बहुत बड़ा था तो 2014-2018 के बीच यह काम भाजपा सरकार ने क्यों नहीं किया?
गौरतलब है कि भाजपा सरकार कोई भी फैसला वोट बैंक को जहन में रख कर करती है। इस बाबत एक चुटकुला है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी को अगर जुकाम हो जाए तो वे तभी छीकेंगे जब उन्हें लगेगा कि अब छींकने से वोट हासिल हो सकते हैं!
2. यह फैसला कानूनी तौर पर सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिकेगा अगर जजों ने केवल कानून की किताब को मद्देनजर रखा तो क्योंकि इन धाराओं को तभी हटाया जा सकता है जब जम्मू कशमीर में राज्य-सरकार हो । मगर फिलहाल वहाँ केंद्रीय शासन लागू है और राज्य-सरकार नहीं है।
3. क्षेत्रीय सियासी पार्टियों ने भाजपा सरकार के फैसले का समर्थन इस डर से किया कि कहीं जजबाती वोटर आने वाले राज्य और राष्ट्रीय चुनावों में उन्हें राष्ट्रविरोधी समझ कर वोट न दे। साथ ही राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी को कमजोर करना भी इन पार्टियों का एक मकसद था।
4. नेहरू जी और डाॅ राजेंद्र प्रसाद के धारा 370 और 35A के फैसलों को *हिसटोरीक बलंडर* बता कर भाजपा सरकार मौजूदा पीढ़ी को गुमराह करने की कोशिश कर रही है!
बदकिस्मती से आजकल के ज्यादातर मीडिया और समझदारों के पास हिसटरी खंगालने के लिए वक्त ही नहीं है।
यह सभी को मालूम है कि नेहरू जी और डाॅ राजेंद्र प्रसाद ने उस दौर के सियासी हालात के हिसाब से धारा 370 और 35A का सही फैसला लिया था! हां, आज हालात काफी बदल चुके हैं ।
यह सच भी भारत मुल्क की तारीख में दर्ज है कि उस वक्त के हुक्मरान नेहरू जी ने भारतीय फौज के आलाकमान और शेख अब्दुल्ला - इन दोनों की सलाह पर ही भारतीय फौज को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर हमला करने से रोक लिया था।
फौजी अफसरों ने नेहरू जी को बताया था कि भारतीय फौज संख्याबल में कम होने की वजह से अगर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर हमला करेगी तो भारतीय कश्मीर भी हाथ से निकल जाएगा क्योंकि नफरी में कम होने की वजह से भारतीय फौज दोनों ओर के कशमीरों को एक साथ कबायलियों और पाकिस्तानी फौज के हमलों से नहीं बचा पाएगी।
और सलाह दी थी कि ऐसे में बेहतर होगा कि भारतीय फौज उन उन इलाकों पर ही सारी ताकत लगा दे जिन जिन इलाकों में भारतीय फौज मजबूत थी यानी भारतीय कशमीर।
शेख अब्दुल्ला ने भी यह कह कर अपने हाथ खड़े कर दिए कि उनकी बात केवल भारतीय कशमीर की मुस्लिम आवाम ही मानती है, पाकिस्तानी कशमीर की मुस्लिम आवाम नहीं।
सोचिए कि क्या होता अगर नेहरू जी ने शेख अब्दुल्ला और भारतीय फौज के आलाकमान - इन दोनों की सलाह न मानी होती? होता यह कि भारतीय फौज को बहुत ज्यादा जान-माल का नुकसान तो झेलना पड़ता ही, भारतीय कशमीर भी पाकिस्तानी कबायलियों के हाथों में चला जाता!
हर बात के लिए नेहरू जी को जिम्मेदार ठहराना भाजपा की एक बहुत बड़ी गैर-जिम्मेदाराना सियासी हरकत है।
चलिए, मेरे जैसे कलमखोर कुछ भी लिखते रहें, मगर भाजपा को जरूर अमित शाह और नरेंद्र मोदी की छींकों से थोड़ा-बहुत सियासी फायदा हरियाणा के आगामी विधानसभा चुनाव में मिलेगा ही जाएगा!
- स्वामी मूर्खानंद
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