।। राम ।।

।। राम ।।
राऔरदोनों अक्षर ही मानो भगवान् रामके दोनों चरण हैं और सीताजीके नगर (भक्तिपथ)की धूल मानो अन्तःकरणकी विनम्रता और भक्ति तथा अनुराग है जब इन दोनोंका सामंजस्य होता है तो बुद्धिकी जड़ता दूर होती है  

।।जय जय श्री राम।।

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