२०१९ का लोकसभा चुनाव जीतते ही जैसे भाजपाइयों को महाअहंकार का रोग लग गया है। मसलन राज्यवर्धन राठौड ने विवेकहीन घमंडीपन वाला बयान दिया है कि दूसरे दल साईलेंट मेजोरीटी (SILENT MAJORITY) की आवाज बनने की कोशिश न करें। भाई राज्यवर्धन राठौड इतना जान लीजिये कि आपके पास राजपूत वोटों का ठेका नहीं है और हर बार बालाकोट पुलवामा नहीं होते हैं…!
भाजपाइयों इतना ज्यादा महाअहंकार भी ठीक नहीं है। ऊपर की ओर मुंह करके थूकोगे तो खुद तुम्हारे ऊपर ही गिरेगा। सच यह है कि हिंदी भाषी मतदाताओं को शैतान का असर डाल कर भाजपा राष्ट्रवाद के नाम पर बरगलाने में इस बार कामयाब हो गई है। काठ की हांडी बार बार नहीं चढती। यह नकली फकीर नरेंद्र मोदी की अच्छी किस्मत थी कि असली फकीर डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी के नेतृत्व में विपक्ष ने लोकसभा २०१९ का चुनाव नहीं लडा। अगर असली फकीर डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी मैदान में होते तो इस बार नकली फकीर नरेंद्र मोदी और भाजपा का सूपडा पूरा साफ हो जाता। पता नहीं कि परमात्मा की क्या मरजी इच्छा है…!
भाजपाइयों इतना ज्यादा महाअहंकार भी ठीक नहीं है। ऊपर की ओर मुंह करके थूकोगे तो खुद तुम्हारे ऊपर ही गिरेगा। सच यह है कि हिंदी भाषी मतदाताओं को शैतान का असर डाल कर भाजपा राष्ट्रवाद के नाम पर बरगलाने में इस बार कामयाब हो गई है। काठ की हांडी बार बार नहीं चढती। यह नकली फकीर नरेंद्र मोदी की अच्छी किस्मत थी कि असली फकीर डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी के नेतृत्व में विपक्ष ने लोकसभा २०१९ का चुनाव नहीं लडा। अगर असली फकीर डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी मैदान में होते तो इस बार नकली फकीर नरेंद्र मोदी और भाजपा का सूपडा पूरा साफ हो जाता। पता नहीं कि परमात्मा की क्या मरजी इच्छा है…!
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