अगला प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से ही से होगा। परंतु , जान लीजिये कि मायावती - अखिलेश यादव - नरेंद्र मोदी - मुलायम सिंह - राहुल गाँधी - इन पाँच में से कोई भी प्रधानमंत्री न बनेगा।
माना कि अखिलेश यादव जी को पैतृक विरासत में बैठे बिठाये ही समाजवादी पार्टी जैसे बड़े राजनैतिक दल का नियंत्रण मिल गया है। परंतु, अखिलेश यादव जी इस महाअकड़ में न रहें कि अगला प्रधानमंत्री केवल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ही तय करेंगीं !
अपनी इसी महाअकड़ के चलते २०१७ के विधान सभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव जी ने डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी से भेंट नहीं की थी और नतीज़तन चुनाव हार गए थे।
ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी को ट्विटर पर अखिलेश यादव जी और उनकी पार्टी फोलो नहीं कर रही है , यह भी शायद अखिलेश यादव जी की या तो महाअकड़ है या फिर वे ट्विटर पर खुद सक्रिय नहीं है , बल्कि कोई मीडिया कंपनी उनके ट्विटर एकाउंट्स को संभाल रही है जो ट्विटर पर मिले संदेशों को अखिलेश यादव जी तक पहुँचाती ही नहीं है !
यह सत्य है कि ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ने २०१४ के लोकसभा चुनाव में एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा है। यह भी सत्य है कि ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ने २०१४ के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाजवादी पार्टी-आर एल डी के महागठबंधन के अलिखित सहयोगी के रूप में ही अपनी सशक्त भूमिका निभाई है। परंतु, इसे अखिलेश यादव जी ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी की कमज़ोरी समझने की भारी भरकम भूल न करें।
२३ मई के पश्चात सभी दलों को अचानक एक साथ ला कर प्रधानमंत्री के चुनाव में ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ही देशहित में अहम भूमिका निभाएगी।
हमें यह सब इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि एक टीवी चैनल पर प्रसारित इंटरव्यू को देखने के बाद हमें यह बात आईने की तरह साफ हो गई कि अखिलेश यादव जी अगला प्रधानमंत्री चुनने की महाअकड़ में हैं। अच्छा होगा कि अखिलेश यादव जी बचकाना राजनीती के भँवर से बाहर निकल जाएँ और महाअकड़ में भी न रहें!
(फोटो : डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी , गूगल के सौजन्य से )
माना कि अखिलेश यादव जी को पैतृक विरासत में बैठे बिठाये ही समाजवादी पार्टी जैसे बड़े राजनैतिक दल का नियंत्रण मिल गया है। परंतु, अखिलेश यादव जी इस महाअकड़ में न रहें कि अगला प्रधानमंत्री केवल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ही तय करेंगीं !
अपनी इसी महाअकड़ के चलते २०१७ के विधान सभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव जी ने डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी से भेंट नहीं की थी और नतीज़तन चुनाव हार गए थे।
ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी को ट्विटर पर अखिलेश यादव जी और उनकी पार्टी फोलो नहीं कर रही है , यह भी शायद अखिलेश यादव जी की या तो महाअकड़ है या फिर वे ट्विटर पर खुद सक्रिय नहीं है , बल्कि कोई मीडिया कंपनी उनके ट्विटर एकाउंट्स को संभाल रही है जो ट्विटर पर मिले संदेशों को अखिलेश यादव जी तक पहुँचाती ही नहीं है !
यह सत्य है कि ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ने २०१४ के लोकसभा चुनाव में एक भी उम्मीदवार नहीं उतारा है। यह भी सत्य है कि ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ने २०१४ के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाजवादी पार्टी-आर एल डी के महागठबंधन के अलिखित सहयोगी के रूप में ही अपनी सशक्त भूमिका निभाई है। परंतु, इसे अखिलेश यादव जी ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी की कमज़ोरी समझने की भारी भरकम भूल न करें।
२३ मई के पश्चात सभी दलों को अचानक एक साथ ला कर प्रधानमंत्री के चुनाव में ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी ही देशहित में अहम भूमिका निभाएगी।
हमें यह सब इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि एक टीवी चैनल पर प्रसारित इंटरव्यू को देखने के बाद हमें यह बात आईने की तरह साफ हो गई कि अखिलेश यादव जी अगला प्रधानमंत्री चुनने की महाअकड़ में हैं। अच्छा होगा कि अखिलेश यादव जी बचकाना राजनीती के भँवर से बाहर निकल जाएँ और महाअकड़ में भी न रहें!
(फोटो : डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी , गूगल के सौजन्य से )
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