भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो केवल 'मन' की बात करते हैं , जबकि डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी उससे कहीं अच्छी 'आत्मा,' 'आत्मवाद' और 'आत्मीयता' की बात करते और जीते हैं। संघ के प्रख्यात विचारक पंडित दीन दयाल उपाध्याय भी 'एकल आत्मवाद' की बात करते थे।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में लोगों को इंसाफ़ दिलाने वाले दिलदार महान शख़्श हैं , जबकि नरेंद्र मोदी बात जरूर इंसाफ़ की करते हैं , परंतु इंसाफ़ किसी को भी नहीं दिलाते हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में वीरों और परमवीरों को महासम्मान दिलाने वाले दिलदार परमदेशभक्त हैं, जबकि नरेंद्र मोदी बात जरूरवीरों और परमवीरों को महासम्मान दिलाने की करते हैं , परंतु महासम्मान किसी को भी नहीं दिलाते हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में 'सहिष्णुता' पर अमल करने वाले दिलदार नेकदिल शख़्श हैं, जबकि नरेंद्र मोदी बात जरूर 'सहिष्णुता' की करते हैं , परंतु 'सहिष्णुता' पर अमल नहीं करते हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में अपना खुद का दिमाग़ रखते हैं , जबकि नरेंद्र मोदी दूसरों के ख्यालात विचारों को चुराते हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में असली गृहस्थ फ़क़ीर हैं , जबकि नरेंद्र मोदी बात जरूर खुद को फ़क़ीर बताते हैं , परंतु असल में हैं केवल एक घटिया दर्ज़े के नक़ली फ़क़ीर ।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी 'ज़बान के पक्के' शख़्श हैं , जबकि नरेंद्र मोदी अपनी बात से पलटने वाले शख़्श हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी पूरे मुल्क की भलाई की फ़िक्र करने वाले ज़िम्मेदार आदमी हैं , जबकि नरेंद्र मोदी केवल ख़ुद की भलाई की और प्रधानमंत्री पद पर बने रहने की फ़िक्र करने वाले गैर ज़िम्मेदार आदमी हैं!
थोड़ा ही लिखा है , थोड़े में ही समझ जाइए क्योंकि समझदार को ईशारा ही काफ़ी होता है…!
- स्वामी मूर्खानंद जी
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में लोगों को इंसाफ़ दिलाने वाले दिलदार महान शख़्श हैं , जबकि नरेंद्र मोदी बात जरूर इंसाफ़ की करते हैं , परंतु इंसाफ़ किसी को भी नहीं दिलाते हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में वीरों और परमवीरों को महासम्मान दिलाने वाले दिलदार परमदेशभक्त हैं, जबकि नरेंद्र मोदी बात जरूरवीरों और परमवीरों को महासम्मान दिलाने की करते हैं , परंतु महासम्मान किसी को भी नहीं दिलाते हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में 'सहिष्णुता' पर अमल करने वाले दिलदार नेकदिल शख़्श हैं, जबकि नरेंद्र मोदी बात जरूर 'सहिष्णुता' की करते हैं , परंतु 'सहिष्णुता' पर अमल नहीं करते हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में अपना खुद का दिमाग़ रखते हैं , जबकि नरेंद्र मोदी दूसरों के ख्यालात विचारों को चुराते हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी सचमुच में असली गृहस्थ फ़क़ीर हैं , जबकि नरेंद्र मोदी बात जरूर खुद को फ़क़ीर बताते हैं , परंतु असल में हैं केवल एक घटिया दर्ज़े के नक़ली फ़क़ीर ।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी 'ज़बान के पक्के' शख़्श हैं , जबकि नरेंद्र मोदी अपनी बात से पलटने वाले शख़्श हैं।
डॉ स्वामी अप्रतिमानंदा जी पूरे मुल्क की भलाई की फ़िक्र करने वाले ज़िम्मेदार आदमी हैं , जबकि नरेंद्र मोदी केवल ख़ुद की भलाई की और प्रधानमंत्री पद पर बने रहने की फ़िक्र करने वाले गैर ज़िम्मेदार आदमी हैं!
थोड़ा ही लिखा है , थोड़े में ही समझ जाइए क्योंकि समझदार को ईशारा ही काफ़ी होता है…!
- स्वामी मूर्खानंद जी
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