क्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में केवल दुष्ट लोग ही पदाधिकारी बन बैठे हैं?

क्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में केवल दुष्ट लोग ही पदाधिकारी बन बैठे हैं? 
यह प्रश्न जानकार लोग इसलिए  पूछ रहे हैं क्योंकि वर्ष 2011 में  डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी ने एक अंग्रेज़ी ई-बुक लिखी थी जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को अच्छे सामाजिक कार्य करने वाली संस्था बता कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक निहायत घटिया और धार्मिक वैमनसय फैलाने वाली संस्था होने की पाश्चात्य जगत में फैली गलत अवधारणा को दूर किया था! उक्त पुस्तक बहुत वर्षों तक इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध रही थी । उक्त पुस्तक के इंटरनेट पर प्रकाशन के बाद ही पाश्चात्य विश्व में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को अच्छी नजरों से और एक रचनात्मक कार्य करने वाली सामाजिक संस्था के तौर पर देखा जाने लगा। This factual truth isn't a baseless assertion!
विशेष बात यह कि 2011 में भारत में कांग्रेस सरकार थी जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में कुछ भी अच्छा कहने वालों को बहुत निर्ममता से सता रही थी तकलीफ दे रही थी । ऐसे खतरनाक राजनैतिक वातावरण में डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में अच्छा लिख कर तत्कालीन कांग्रेस सरकार की भयंकर नाराजगी मोल ले ली थी!
यह बात सभी को मालूम है कि वर्तमान नरेंद्र मोदी की सरकार पूरी तरह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के ईशारों पर ही चल रही है। उदाहरणत: नरेंद्र मोदी ने केवल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोगों को ही विभिन्न भाजपा-शासित प्रदेशों का मुख्यमंत्री बनाया है।
कोई भी कृतज्ञ ( thankful ) निष्पक्ष संस्था राजनैतिक मतभेदों को भुला कर तटस्थ रह कर , डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी को उनके 1991 के बेमिसाल बहादुरी दिखाते हुए समगलिंग की 2.5 करोड़ की चाँदी पकङने के मामले में कांग्रेस सरकार के वर्ष 2006 के तत्कालीन वित्त मंत्रालय द्वारा किए गए अन्याय को सत्ता में आने पर पूरी तत्परता से दूर करवाती और उन्हें पूरा न्याय दिलवाते हुए 25 लाख रूपया ईनाम व अशोक चक्र से सम्मानित कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करती । परंतु, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वर्तमान पदाधिकारियों ने ऐसी कुछ भी सह्रदयता अभी तक नहीं दिखाई है!
सभी देशभक्त भारतीयों और खासकर राजपूत समाज में यह संदेश चला गया है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग न तो किसी का अहसान मानते हैं, न इनमें मानवता ही शेष बची है और राजपूत समाज में पैदा हुए शूरवीर डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी की 1991 की बेमिसाल बहादुरी के मामले में हुई नाइंसाफी को दूर न कर के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सबूत दे दिया है कि है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ असल में राजपूत समाज के खिलाफ खङा है!
ऊपर से तुरर्रा यह है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुङे कुछ लोग डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बारे में कुछ भी बुरा न कहने की सलाह दे रहे हैं!
(Fotos: Courtesy Dr Swaamee Aprtemaanandaa Jee, Google)

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