नेताओं का अहंकार बङा कि जनहित?

अरविंद केजरीवाल को मिलने अपने आवास से दस मिनट दूर स्थित गाजियाबाद में वैशाली स्थित उनके आवास पर डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी स्पेशल रिक्शा 150 रुपए के भाङे/किराए पे ले कर गए थे जब दिल्ली में पहली बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी। उन्हें यह कह कर नहीं मिलने दिया गया कि अरविंद बिजी थे। डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी अपना अरविंद के नाम खत अरविंद के कार्यकरता को सौंप कर वापिस आ गए। खत में डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी ने सलाह दी थी कि अरविंद स्वयं आ कर उनसे भेंट करें ताकि डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी उन्हें कई सामाजिक भलाई हेतु नेक सलाहें दे सकें । खत के अंत में डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी ने स्वयं को ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी का संयोजक बताया था।अरविंद ने खत से 'संयोजक' शब्द तो उठा लिया ( उक्त खत मिलने के बाद अरविंद भी खुद को आम आदमी पार्टी का संयोजक बताने लगे) परंतु डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी से भेंट करने की राजनैतिक सूझबूझ नहीं दिखाई! तो भी हमारी नेकदिल पार्टी ने जनहित में 2015 में दिल्ली में लगभग लगभग हारती हुई आम आदमी पार्टी को जीताने के लिए ऐसा सरवोतकृषट अति प्रभावी प्रचार सोशल मिडिया पर किया कि mainstream media ने मजबूर हो कर आम आदमी पार्टी के पक्ष में खबरें दिखाना शुरू कर दिया । नतीजा यह निकला कि हारती हुई आम आदमी पार्टी  67 सीटों से जीत गई।यहाँ तक कि अरविंद भी कुछ पलों हेतु चौंक गया और उसने सच को समझते हुए टविट किया,   ."@insaaneyatparty Your faith, your trust is sacred to us. Together we will create a world class Delhi."
पर, बाद में अरविंद का दिमाग भी अन्य अति स्वार्थी नेताओं की तरह गोल गोल
घूम गया । उसने हमें शपथ समारोह में निमंत्रण देने की भी मामूली सी इंसानियत भी नहीं दिखाई । अरे भईया, अरविंद जी अपने डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी में कुछ तो कुशाग्र बुद्धि होगी तभी तो उन्होने दुबारा वर्ष 2003 में भी पुणे यूनिवर्सिटी से भूगोल विषय में MSc/MA in GEOGRAPHY में टाॅप किया था ( इससे पहले वह 16-17 वर्ष पूर्व वर्ष 1987 में भी BA HONOURS/MAJOR में टाॅपर रहे थे )। जिस ढंग से अरविंद ने दिल्ली से राज्य सभा में बतौर सांसद हमारे द्वारा जनहित में सुझाए नामों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है उससे अब यही निष्कर्ष निकलता है कि अरविंद भी अब पूरी तरह स्वार्थी और अलोकतांत्रिक नेता बन गया है । हमारी सकारात्मक जनहित की राजनीति अरविंद केजरीवाल की समझ से बाहर है। बिल्ली के भाग से छींका टूटा था 2005 में और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बन गया था। ऐसा अब नहीं होगा । अगले चुनाव में अब विवश ही कर ऑल इंडिया इंसानियत पार्टी खुले में आएगी और अरविंद केजरीवाल के साथ साथ आम आदमी पार्टी को भी हराएगी । यदि अरविंद केजरीवाल सचमुच एक नेकदिल इंसान होता तो हमारे अहसानों के बदले आ कर डाॅ स्वामी अप्रतिमानंदा जी को सैलयूट Salute करता! परंतु अरविंद केजरीवाल और इसके साथ के डाॅ कुमार विश्वास जैसे खुदगरज अहसान फरामोश लोग किसी का भी अहसान नहीं मानते हैं। हद तो यह हो गई है कि इनके कुछ चेले-चेलियाँ हमारे टविटर हैंडिल @insaaneyatparty को भी अब एक FAKE HANDLE बताने लगे हैं। हमारे टविटर हैंडिल को टविटर अधिकारियों ने VERIFY किया हुआ है। अब यदि @Twitter  हमें नीला बैज नहीं दे रहा है तो इसमें हमारी कोई गलती नहीं है....!

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