आप MLAs के लिये अब कौनसा सर्वोत्तम विकल्प शेष बचा है?

 आम आदमी पार्टी के MLAs के लिये अब कौन सा सर्वोत्तम विकल्प शेष बचा है? हम उपर्युक्त यक्ष प्रश्न का यथोचित सर्वोत्तम उत्तर इस आलेख के माध्यम से पूरी सच्चाई के साथ ढूंढ़ने का प्रयास कर रहे हैं।
जिस वीभत्स ढ़ंग से अरविन्द केजरीवाल की सत्ता लोलुप भ्र्ष्ट व्यक्ति-केंद्रित राजनीती उजागर हुई है और उसकी ईमानदारी की पोल खुल गई है उससे आम लोगों का आम आदमी पार्टी से भरोसा लगभग लगभग जिस प्रकार पूरी तरह से उठ गया है उससे अब आम आदमी पार्टी के दिल्ली से नवनिर्वाचित विधान सभा सदस्यों को पूरी ईमानदारी से सोचना होगा कि उनका दूरगामी एवम तात्कालिक राजनैतिक भविष्य कहाँ पूरी तरह सुरक्षित है: अरविन्द केजरीवाल के साथ या आम आदमी पार्टी के बाहर?
 
यदि अब आम आदमी पार्टी के दिल्ली से नवनिर्वाचित विधान सभा सदस्य अरविन्द केजरीवाल के साथ चिपके रहते हैं तो पाँच वर्षों के पश्चात होने वाले विधान सभा चुनाओं में वे पुनः जीत कर वापिस नहीं आ पाएंगे…!
 
यदि अब आम आदमी पार्टी के दिल्ली से नवनिर्वाचित विधान सभा सदस्य आम आदमी पार्टी और अरविन्द केजरीवाल को छोड़ते हैं तो ये आम आदमी पार्टी के दिल्ली से नवनिर्वाचित विधान सभा सदस्य कहाँ जाएं?
 
कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा इत्यादि परम्परागत विकल्प चुनना अपने पैरों पे कुल्हाड़ी मारना है !
 
कई कारणों से आल इंडिया इंसानियत पार्टी ही एकमात्र सर्वोत्तम विकल्प है।  इस पार्टी ने दिल्ली के विधान सभा चुनाओं में (सिवाय अरविन्द केजरीवाल के) आम आदमी पार्टी को जितवाने के लिये पूरा दम लगा दिया था!
 
यह सच है कि कुछ गिने चुने चमचे प्रवृति के आम आदमी पार्टी के दिल्ली से नवनिर्वाचित विधान सभा सदस्य अभी भी अरविन्द केजरीवाल की मोहमाया से मोहित और ग्रसित हैं। परन्तु, यह भी उतना ही कटु सत्य है कि अब आम आदमी पार्टी के दिल्ली से नवनिर्वाचित अधिकांश विधान सभा दिल्ली के सदस्य जनमानस का रौद्र मूड भाँप कर  अरविन्द केजरीवाल के चँगुल से बाहर आने के लिए छटपटाने लगे हैं!
 
योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को भी पूरी ईमानदारी से राजनैतिक वास्तविकता समझनी होगी कि अब आम आदमी पार्टी का 'स्वराज' का मुखौटा फट चुका है । सारे प्रयासों के बावज़ूद 'स्वराज' की फ़ेल हो गई अवधारणा और सिद्धांत को अब जनमानस में कोई स्थान नहीं दिलाया जा सकता है। 
 
यह सही है कि पुरानी वस्तुओं से मोह त्यागना अत्यंत दुष्कर कार्य होता है। परन्तु, योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को आम आदमी पार्टी के फ़ेल हो गये 'स्वराज' की अवधारणा और सिद्धांत को तुरंत जनहित और जनकल्याण की कामना हेतु त्यागना होगा। अन्यथा उनका हश्र भी वही होगा जो बुरा हश्र पुत्र-मोह में अँधे धृतराष्ट्र का हुआ था!
 
सबसे बड़ी महत्त्व की बात योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को यह समझनी होगी कि अब जनमानस का धैर्य टूट चुका है और किसी के पास नित नये नये प्रयोग करने का न ही तो समय शेष है न ही सामर्थ्य !
 
यह ब्रह्म सत्य है कि आल इंडिया इंसानियत पार्टी ही एकमात्र सर्वोत्तम विकल्प है और इसकी 'परमतंत्रता' की अवधारणा और सिद्धांत ही  दिल्ली और भारतवर्ष का सही अर्थों में कल्याण कर सकती है । 
 
अतः हमारी मंगल कामना है कि योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण शीघ्रातिशीघ्र 'आप' का परित्याग करें और आल इंडिया इंसानियत पार्टी के सहभागी बन कर अपने सर्वश्रेष्ठ निःस्वार्थी मार्गदर्शन के द्वारा सच्ची वैकल्पिक राजनीती के माध्यम से प्रत्येक भारतीय का कल्याण करें। 

(फोटो : ट्विटर के सौजन्य से)

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