आखिर गीदड़ ने अपना असली चेहरा दिखा ही दिया, प्रशांत भूषण योगेन्द्र यादव को कर विदा ही दिया…!

आखिरकार धूर्त गीदड़ ने अपना असली चेहरा दिखा ही दिया…!
प्रशांत भूषण योगेन्द्र यादव को सियासी पाठ सिखा ही दिया…! 
मसलन प्रशांत भूषण योगेन्द्र यादव को कर विदा ही दिया…! 
 यह तो होना ही था क्योंकि प्रशांत भूषण व योगेन्द्र यादव सरीखे सीधे साधे आम आदमी पार्टी के हज़ारों सामाजिक कार्यकर्ताओं को यह बात समझ में नहीं आई थी कि दिल्ली चुनाओं में किसी अन्य बेहतर सियासी विकल्प न होने के कारण केवल आम आदमी पार्टी ही वोटरों के लिए एक मात्र विकल्प बचा था। ऐसे हालात में आम आदमी पार्टी भारी बहुमत से जीत कर आने ही वाली ही थी फिर चाहे नारा कोई भी क्यों न होता , मसलन - अरविन्द केजरीवाल पाँच साल , योगेन्द्र यादव पाँच साल, प्रशांत भूषण  पाँच साल, मेधा पाटकर पाँच साल, कुमार विशवास पाँच साल, वगैरह वगैरह....!

तो फिर अरविन्द केजरीवाल को चुनाओं का मुख्य चेहरा बनाने की क्या जल्दी पड़ी थी? कोई नहीं! प्रशांत भूषण व योगेन्द्र यादव सरीखे सीधे साधे आम आदमी पार्टी के हज़ारों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अरविन्द केजरीवाल की चिकनी - चुपड़ी बातों और झाँसों में फँस कर अरविन्द केजरीवाल को चुनाओं का मुख्य चेहरा बना दिया…! 

नतीज़ा क्या निकला? नतीज़ा यह निकला कि एक छोटा सा धूर्त गीदड़ बादशाह शेर को बेदख़ल कर खुद जंगल का राजा बन बैठा है.…! 
 
तो योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण, मेधा पाटकर, कुमार विशवास और सीधे साधे आम आदमी पार्टी के हज़ारों सामाजिक कार्यकर्ताओं आप अपनी ग़लती का अब ख़ामियाज़ा खुद भुगतो…!

 
आल इंडिया इंसानियत पार्टी को तो अरविन्द केजरीवाल के असली चेहरे का पहले से ही पता है - इस सख़्श को सिवाय सियासी हुकूमत और ताज पहनने के किसी और मसले से कोई ख़ास मतलब नहीं है…! रोना - धोना , घड़ियाली आँसू बहाना इस सख़्श की फितरत है...! 


चलो अच्छा ही हुआ है। जल्द ही आम लोगों को अरविन्द केजरीवाल की सही सही समझ आ जाएगी। इसीलिए तो हमने बहुत पहले फ़रमाया था कि आल इंडिया इंसानियत पार्टी जल्द ही आम आदमी पार्टी की जगह ले लेगी चूँकि सच्च हमारे साथ है, अरविन्द केजरीवाल के साथ सच्च नहीं है। 

अब रहा सवाल हिन्दुस्तानी प्रचार माध्यमों का तो हम केवल इतना ही कहेंगे जो हमने आम लोगों के मुँह से सुना है - टी वी चैनल  और अखबारनवीस अब इंशा अल्लाह अरविन्द केजरीवाल की ख़िदमत में झूठे क़सीदे तो पढेंगे ही आख़िर वह दिल्ली के तख़्त पे काबिज़ जो है.… :-)






 

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