अरविन्द केजरीवाल भी अब ईमानदार नेता नहीं रह गया है।

आम आदमी पार्टी को मिले २ करोड़ रुपयों के उस चंदे की पूरे हिन्दुस्तान में घर घर में चर्चा है

जिस चंदे को देने वाले के बारे में अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी यह कह रहे हैं कि उन्हें नहीं पता किसने वह चंदा दिया था। उन्हें तो केवल इतना पता है कि उन्होंने उन चन्दा देने वालों के पते आम आदमी पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दिए हैं। 

अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी अपने आप को इस २ करोड़ रुपयों के उस चंदे के मामले में पाक पवित्र बता रहे हैं।

कुछ देर झूठे ही मान लेते हैं कि इन्हें चंदा देनेवाले के बारे में कुछ भी नहीं पता है।

अब अगर इनकम टैक्स विभाग अपने स्वयम के सौभाग्य से, चंदा देने वालों को ढूंढ कर उनसे यह सच उगलवा लेता है कि अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने ही इन चंदा देने वालों को यह ग़ैरक़ानूनी रास्ता दिखाया था कि झोपड़पटिटयों में मौजूद झोपड़ियों के झूठे पते दे कर २ करोड़ का चंदा क़ानून को सरे आम चकमा दे कर आम आदमी पार्टी को दे दिया जाय तो अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने जो ईमानदारी का बुरखा ओढ़ रखा है वह बुरखा बुरी तरह फट जायेगा।

साथ ही दिल्ली और पूरे संसार के लोगों को पता चल जायेगा कि अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी भी काले धन को अन्य बहुत सारी सियासी राजनैतिक पार्टियों की तरह चंदे के तौर पे लेने से बिलकुल भी परहेज़ नहीं करती हैं। ऐसे में अरविन्द केजरीवाल द्वारा सयोंजित आम आदमी पार्टी और दूसरी भ्र्ष्ट बहुत सारी सियासी राजनैतिक पार्टियों में कोई ख़ास फ़र्क नहीं रह जाता है। 

अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के समर्थक यह कह कर बचाव कर रहे हैं कि आम आदमी पार्टी ने २ करोड़ रुपयों के अवैध चंदे को ले कर कौन सा बड़ा गुनाह कर दिया है जबकि भाजपा कांग्रेस जैसी बड़ी बहुत सारी सियासी राजनैतिक पार्टियाँ तो हज़ारों करोड़ो रुपयों के कालेधन को चन्दे के तौर पे ले कर उनका अपनी वेबसाइट पर हिसाब तक भी नहीं देती हैं।  

शायद भाजपा, कांग्रेस जैसी बड़ी बहुत सारी सियासी राजनैतिक पार्टियाँ हज़ारों करोड़ो रुपयों के कालेधन को चन्दे के तौर पे ले कर उनका अपनी वेबसाइट पर हिसाब तक भी इसलिए नहीं देती हैं क्यों कि इन पार्टियों को अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की तरह झोपड़ियों के पते वाली गैरमौजूद [non-existent] कम्पनियों के जरिये काले धन को बतौर चंदा लेने की होशियारी नहीं आती है।  

अगर कोई चोर किसी बैंक से १ लाख रुपया चुरा ले और पुलिस वाला इस बात को न जान कर इस चोर को निर्दोष होने का प्रमाण पत्र दे तो भी यह चोर ईश्वर खुदा गॉड की नजरों में गुनहगार ही रहता है।

अगर कोई दूसरा चोर किसी बैंक से १०० लाख रुपया चुरा ले तो उसका दोष उस चोर से बिलकुल भी ज्यादा नहीं होता है जिसने किसी बैंक से १ लाख रुपया चुरा लिया हो। वह चोर जिसने किसी बैंक से १ लाख रुपया चुरा लिया हो तो उसका दोष उस चोर से बिलकुल भी कम नहीं होता है जिसने किसी बैंक से १०० लाख रुपया चुरा लिया हो।

राजनीति में असली बदलाव का मतलब यह नहीं है कि पुराने घाघ भ्र्ष्ट लोगों की जगह उनसे भी ज्यादा शातिर ख़तरनाक लोग आ जाएं। १९९७-९८ की भाजपा के ज्यादातर नेता पिछले वर्ष २०१३ वाले निहायत ईमानदार अरविन्द केजरीवाल की तरह ईमानदार थे। लेकिन वर्ष २००४ आते आते भाजपा के ज्यादातर नेता कांग्रेस के नेताओं की तरह पूरी तरह बेईमान बन गए। रुपया २ करोड़ के चन्दे वाले मामले ने आईने की तरह बिलकुल साफ़ कर दिया है कि अरविन्द केजरीवाल भी अब ईमानदार नेता नहीं रह गया है। 

जहाँ भाजपा के ज्यादातर नेताओं का कांग्रेसीकरण होने में ७-८ वर्षों का वक़्त लगा वहीं अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं व समर्थकों का कांग्रेसीकरण महज़ पिछले ७-८ महिनों में ही हो गया है। 






 

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