अन्ना हज़ारे के आदर्शों पे चलने का दम भरने वाले आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल के अवाँछनीय अहँकार अर्थात घमंड की कोई सीमा अब नहीं रही है। जिस तरह अरविन्द केजरीवाल ने अपने
आम आदमी पार्टी के समर्थकों के सम्मुख अपनी भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत धर्मपत्नी को कुछ यह कह कर प्रस्तुत किया कि, "मैं इन्हें ले आया हूँ। ये डर रही थीं कि [भारत ] सरकार इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करेगी। मैंने कहा क़ि सरकार ऐसा नहीं करेगी। ", उससे अरविन्द केजरीवाल का अवाँछनीय अहँकार अर्थात घमंड जगजाहिर हो प्रकट हो गया है !
अब आईने की तरह साफ़ हो गया है कि अरविन्द केजरीवाल किसी भी सरकारी नियमों को बिलकुल भी नहीं मानते हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत कोई भी कर्मचारी राजनैतिक गतिविधियों में [भारतीय प्रशासनिक सेवा के नियमों के अनुसार] किसी भी तरह से भाग नहीं ले सकता है। अरविन्द केजरीवाल की पत्नी ने अरविन्द केजरीवाल के राजनैतिक समर्थकों द्वारा किये गए सम्मान-प्रदर्शन में भाग ले खुले आम भारतीय प्रशासनिक सेवा के नियमों की धज्जियाँ उड़ा दी है।
यदि अरविन्द केजरीवाल अपनी भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत धर्मपत्नी को राजनीती से जोड़ने हेतु इतने छटपटा रहें हैं तो बेहतर यही होगा कि अरविन्द केजरीवाल की धर्मपत्नी भारतीय प्रशासनिक सेवा से तुरंत त्याग पत्र दें और अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण कर लें। परन्तु, ऐसा कर दिया तो पत्नी की कमाई पर आश्रित अरविन्द केजरीवाल का जीवन निर्वाह कैसे होगा? तो बेहतर यही होगा कि अरविन्द केजरीवाल की धर्मपत्नी राजनीती से दूर रहें। इससे समाज में एक अच्छे आदर्श की स्थापना होगी।
अब आईने की तरह साफ़ हो गया है कि अरविन्द केजरीवाल किसी भी सरकारी नियमों को बिलकुल भी नहीं मानते हैं। भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत कोई भी कर्मचारी राजनैतिक गतिविधियों में [भारतीय प्रशासनिक सेवा के नियमों के अनुसार] किसी भी तरह से भाग नहीं ले सकता है। अरविन्द केजरीवाल की पत्नी ने अरविन्द केजरीवाल के राजनैतिक समर्थकों द्वारा किये गए सम्मान-प्रदर्शन में भाग ले खुले आम भारतीय प्रशासनिक सेवा के नियमों की धज्जियाँ उड़ा दी है।
यदि अरविन्द केजरीवाल अपनी भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत धर्मपत्नी को राजनीती से जोड़ने हेतु इतने छटपटा रहें हैं तो बेहतर यही होगा कि अरविन्द केजरीवाल की धर्मपत्नी भारतीय प्रशासनिक सेवा से तुरंत त्याग पत्र दें और अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण कर लें। परन्तु, ऐसा कर दिया तो पत्नी की कमाई पर आश्रित अरविन्द केजरीवाल का जीवन निर्वाह कैसे होगा? तो बेहतर यही होगा कि अरविन्द केजरीवाल की धर्मपत्नी राजनीती से दूर रहें। इससे समाज में एक अच्छे आदर्श की स्थापना होगी।
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